भारत एक नजर में

गणतंत्र दिवस के आयोजन


भारत [सम्पूर्ण प्रभुतासंपन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य भारत। (अंग्रेज़ी: India)] दुनिया की सबसे पुरानी सभ्‍यताओं में से एक है, जो 4,000 से अधिक वर्षों से चली आ रही है और जिसने अनेक रीति-रिवाज़ों और परम्‍पराओं का संगम देखा है। यह देश की समृद्ध संस्‍कृति और विरासत का परिचायक है। आज़ादी के बाद 65 वर्षों में भारत ने सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर देश है और औद्योगीकरण में भी विश्व के चुने हुए देशों में भी इसकी गिनती की जाती है। यह उन देशों में से एक है, जो चाँद पर पहुँच चुके हैं और परमाणु शक्ति संपन्न हैं।
विस्तार में पढ़ने के लिए देखें:भारत आलेख
इतिहास

 मुख्य लेख : भारत का इतिहास
भारत में मानवीय कार्यकलाप के जो प्राचीनतम चिह्न अब तक मिले हैं, वे 4,00,000 ई. पू. और 2,00,000 ई. पू. के बीच दूसरे और तीसरे हिम-युगों के संधिकाल के हैं और वे इस बात के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं कि उस समय पत्थर के उपकरण काम में लाए जाते थे। इसके पश्चात् एक लम्बे अरसे तक विकास मन्द गति से होता रहा, जिसमें अन्तिम समय में जाकर तीव्रता आई और उसकी परिणति 2300 ई. पू. के लगभग सिन्धु घाटी की आलीशान सभ्यता (अथवा नवीनतम नामकरण के अनुसार हड़प्पा संस्कृति) के रूप में हुई। हड़प्पा की पूर्ववर्ती संस्कृतियाँ हैं: बलूचिस्तानी पहाड़ियों के गाँवों की कुल्ली संस्कृति और राजस्थान तथा पंजाब की नदियों के किनारे बसे कुछ ग्राम-समुदायों की संस्कृति।[5]
भौतिक विशेषताएँ

मुख्‍य भूभाग में चार क्षेत्र हैं, नामत: महापर्वत क्षेत्र, गंगा और सिंधु नदी के मैदानी क्षेत्र और मरूस्‍थली क्षेत्र और दक्षिणी प्रायद्वीप।
हिमालय की तीन श्रृंखलाएँ हैं, जो लगभग समानांतर फैली हुई हैं। इसके बीच बड़े - बड़े पठार और घाटियाँ हैं, इनमें कश्मीर और कुल्‍लू जैसी कुछ घाटियाँ उपजाऊ, विस्‍तृत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं। संसार की सबसे ऊंची चोटियों में से कुछ इन्‍हीं पर्वत श्रृंखलाओं में हैं। अधिक ऊंचाई के कारण आना -जाना केवल कुछ ही दर्रों से हो पाता है, जिनमें मुख्‍य हैं -
चुंबी घाटी से होते हुए मुख्‍य भारत-तिब्‍बत व्‍यापार मार्ग पर जेलप ला और नाथू-ला दर्रे
उत्तर-पूर्व दार्जिलिंग
कल्‍पना (किन्‍नौर) के उत्तर - पूर्व में सतलुज घाटी में शिपकी ला दर्रा
भूगर्भीय संरचना

 मुख्य लेख : भारत का भूगोल
भारत के भू‍वैज्ञानिक क्षेत्र व्‍यापक रुप से भौतिक विशेषताओं का पालन करते हैं और इन्‍हें मुख्यत: तीन क्षेत्रों के समूह में रखा जा सकता है:
हिमालय पर्वत श्रृंखला और उनके संबद्ध पर्वत समूह।
भारत-गंगा मैदान क्षेत्र।
प्रायद्वीपीय क्षेत्र।
भारत का संविधान

 मुख्य लेख : भारत का संविधान
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ। इसका निर्माण संविधान सभा ने किया था, जिसकी पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को हुई थी। संविधान सभा ने 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। संविधान सभा की पहली बैठक अविभाजित भारत के लिए बुलाई गई थी। 4 अगस्त, 1947 को संविधान सभा की बैठक पुनः हुई और उसके अध्यक्ष सच्चिदानन्द सिन्हा थे। सिन्हा के निधन के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बने। फ़रवरी 1948 में संविधान का मसौदा प्रकाशित हुआ। 26 नवम्बर, 1949 को संविधान अन्तिम रूप में स्वीकृत हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
धर्म

 मुख्य लेख : धर्म
भारतीय संस्कृति में विभिन्नता उसका भूषण है। यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है। हिन्दू धर्म के विविध सम्प्रदाय एवं मत सारे देश में फैले हुए हैं, जैसे वैदिक धर्म, शैव, वैष्णव, शाक्त आदि पौराणिक धर्म, राधा-बल्लभ संप्रदाय, श्री संप्रदाय, आर्य समाज, समाज आदि। परन्तु इन सभी मतवादों में सनातन धर्म की एकरसता खण्डित न होकर विविध रूपों में गठित होती है। यहाँ के निवासियों में भाषा की विविधता भी इस देश की मूलभूत सांस्कृतिक एकता के लिए बाधक न होकर साधक प्रतीत होती है।
अर्थव्यवस्था

 मुख्य लेख : भारतीय अर्थव्यवस्था
भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था क्रय शक्ति समानता के आधार पर दुनिया में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। यह विशाल जनशक्ति आधार, विविध प्राकृतिक संसाधनों और सशक्‍त वृहत अर्थव्‍यवस्‍था के मूलभूत तत्‍वों के कारण व्‍यवसाय और निवेश के अवसरों के सबसे अधिक आकर्षक गंतव्‍यों में से एक है। वर्ष 1991 में आरंभ की गई आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया से सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में फैले नीतिगत ढाँचे के उदारीकरण के माध्‍यम से एक निवेशक अनुकूल परिवेश मिलता रहा है। भारत को आज़ाद हुए 65 साल हो चुके हैं और इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा में ज़बरदस्त बदलाव आया है। औद्योगिक विकास ने अर्थव्यवस्था का रूप बदल दिया है। आज भारत की गिनती दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में होती है। विश्व की अर्थव्यवस्था को चलाने में भारत की भूमिका बढ़ती जा रही है। आईटी सॅक्टर में पूरी दुनिया भारत का लोहा मानती है।
कृषि

 मुख्य लेख : कृषि
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रयासों से कृषि को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गरिमापूर्ण दर्जा मिला है। कृषि क्षेत्रों में लगभग 64% श्रमिकों को रोजगार मिला हुआ है। 1950-51 में कुल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा 59.2% था जो घटकर 1982-83 में 36.4% और 1990-91 में 34.9% तथा 2001-2002 में 25% रह गया। यह 2006-07 की अवधि के दौरान औसत आधार पर घटकर 18.5% रह गया। दसवीं योजना (2002-2007) के दौरान समग्र सकल घरेलू उत्पाद की औसत वार्षिक वृद्धि पद 7.6% थी जबकि इस दौरान कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि दर 2.3% रही। 2001-02 से प्रारंभ हुई नव सहस्त्राब्दी के प्रथम 6 वर्षों में 3.0% की वार्षिक सामान्य औसत वृद्धि दर 2003-04 में 10% और 2005-06 में 6% की रही।
खनिज संपदा

 मुख्य लेख : खनिज
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में खनिजों के उत्पादन में निरन्तर वृद्धि हुई है। कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट आदि का उत्पादन निरंतर बढ़ा है। 1951 में सिर्फ़ 83 करोड़ रुपये के खनिजों का खनन हुआ था, परन्तु 1970-71 में इनकी मात्रा बढ़कर 490 करोड़ रुपये हो गई। अगले 20 वर्षों में खनिजों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 2001-02 में निकाले गये खनिजों का कुल मूल्य 58,516.36 करोड़ रुपये तक पहुँच गया जबकि 2005-06 के दौरान कुल 75,121.61 करोड़ रुपये मूल्य के खनिजों का उत्पादन किया गया। यदि मात्रा की दृष्टि से देखा जाये, तो भारत में खनिजों की मात्रा में लगभग तिगुनी वृद्धि हुई है, उसका 50% भाग सिर्फ़ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के कारण तथा 40% कोयला के कारण हुआ है।
रक्षा

 मुख्य लेख : भारतीय सशस्त्र सेना
भारत की रक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य यह है कि भारतीय उपमहाद्वीप में उसे बढ़ावा दिया जाए एवं स्थायित्व प्रदान किया जाए तथा देश की रक्षा सेनाओं को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाए, ताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें। वर्ष 1946 के पूर्व भारतीय रक्षा का पूरा नियंत्रण अंग्रेज़ों के हाथों में था। उसी वर्ष केंद्र में अंतरिम सरकार में पहली बार एक भारतीय देश के रक्षा मंत्री बलदेव सिंह बने। हालांकि कमांडर-इन-चीफ एक अंग्रेज़ ही रहा । 1947 में देश का विभाजन होने पर भारत को 45 रेजीमेंटें मिलीं, जिनमें 2.5 लाख सैनिक थे। शेष रेजीमेंट पाकिस्तान चली गयीं। गोरखा फ़ौज की 6 रेजीमेंटं (लगभग 25,000 सैनिक) भी भारत को मिलीं। शेष गोरखा सैनिक ब्रिटिश सेना में सम्मिलित हो गये। ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी सामरसैट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन हो गयी। ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी सामरसैट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन भारतीय भूमि से 28 फ़रवरी, 1948 को स्वदेश रवाना हुई।
पशु पक्षी जगत

आँकड़े एक झलक
क्षेत्रफल  32,87,263 वर्ग किमी.[6]
-भूमध्य रेखा से दूरी [7]  876 किमी
-पूर्व से पश्चिम लंबाई  2,933 किमी
-उत्तर से दक्षिण लंबाई  3,214 किमी
-प्रादेशिक जलसीमा की चौड़ाई  समुद्र तट से 12 समुद्री मील तक।
-एकान्तिक आर्थिक क्षेत्र  संलग्न क्षेत्र से आगे 200 समुद्री मील तक।
सीमा  7 देश और 2 महासागर[8]
-समुद्री सीमा[9]  7516.5 किमी
-प्राकृतिक भाग  (1) उत्तर का पर्वतीय प्रदेश (2) उत्तर का विशाल मैदान (3) दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार (4) समुद्र तटीय मैदान तथा (5) थार मरुस्थल
-स्थलीय सीमा[10]  15,200 किमी
राज्य  28
-संघशासित क्षेत्र[11]  7
-ज़िलों की संख्या  593
-उपज़िलों की संख्या  5,470
-सबसे बड़ा ज़िला लद्दाख (जम्मू-कश्मीर, क्षेत्रफल 82,665 वर्ग किमी.)।
-सबसे छोटा ज़िला थौबॅल (मणिपुर, क्षेत्रफल- 507 वर्ग किमी.)।
-द्वीपों की कुल संख्या  247 [12]
-तटरेखा से लगे राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल।
-केन्द्रशासित प्रदेश (तटरेखा) दमन व दीव, दादरा एवं नगर हवेली, लक्षद्वीप, पांडिचेरी तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
-कर्क रेखा [13] गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा तथा मिज़ोरम।
-प्रमुख नगर मुम्बई, नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलोर, हैदराबाद, तिरुअनन्तपुरम, सिकन्दराबाद, कानपुर, अहमदाबाद, जयपुर, जोधपुर, अमृतसर, चण्‍डीगढ़, श्रीनगर, जम्मू, शिमला, दिसपुर, इटानगर, कोचीन, आगरा आदि।
-राजधानी नई दिल्ली।
-पर्वतीय पर्यटन अल्मोड़ा, नैनीताल, लैन्सडाउन, गढ़मुक्तेश्वर, मसूरी, कसौली, शिमला, कुल्लू घाटी, डलहौज़ी, श्रीनगर, गुलबर्ग, सोनमर्ग, अमरनाथ, पहलगाम, दार्जिलिंग, कालिंपोंग, राँची, शिलांग, कुंजुर, ऊटकमंड (ऊटी), महाबलेश्वर, पंचमढ़ी, माउण्ट आबू।
-प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या  300
-द्वितीय श्रेणी के नगरों की संख्या  345
-तृतीय श्रेणी के नगरों की संख्या  947
-चतुर्थ श्रेणी के नगरों की संख्या  1,167
-पंचम श्रेणी के नगरों की संख्या  740
-षष्ठम श्रेणी के नगरों की संख्या  197
-कुल नगरों की संख्या  5,161
-सर्वाधिक नगरों वाला राज्य उत्तर प्रदेश (704 नगर)
-सबसे कम नगर वाला राज्य मेघालय (7 नगर)
-सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या वाला राज्य  उत्तर प्रदेश (3,45,39,582), मिज़ोरम (45.10%)
-सबसे कम नगरीय जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम (59,870), हिमाचल प्रदेश (8.69%)
-संघशासित क्षेत्र सर्वाधिक जनसंख्या[14] दिल्ली 89.93%
-संघ शासित क्षेत्र कम जनसंख्या [15] दादरा तथा नगर हवेली (8.47%)
-संघशासित क्षेत्र (सबसे बड़ा)[16] अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (8,293 वर्ग किमी.)
-सबसे छोटा संघ शासित क्षेत्र लक्षद्वीप (32 वर्ग किमी.)
-शहरों की संख्या  5,161
-गांवों की संख्या  6,38,588
-आबाद गांवों की संख्या  5,93,732
-ग़ैर-आबाद गांवों की संख्या  44,856
-सामुद्रिक मत्स्ययन का प्रमुख क्षेत्र  पश्चिमी तट (75% तथा पूर्वी तट (25%) [17]
-सबसे बड़ा राज्य (क्षेत्रफल) राजस्थान (3,42,239 वर्ग किमी.)
-सबसे छोटा राज्य गोवा (3,702 वर्ग किमी.)
भूगोल
-प्रमुख पर्वत हिमालय, कराकोरम, शिवालिक, अरावली, पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, विन्ध्याचल, सतपुड़ा, अन्नामलाई, नीलगिरि, पालनी, नल्लामाला, मैकल, इलायची।
-प्रमुख नदियाँ सिन्धु, सतलज, ब्रह्मपुत्र, गंगा, यमुना, गोदावरी, दामोदर, नर्मदा, ताप्ती, कृष्णा, कावेरी, महानदी, घाघरा, गोमती, रामगंगा, चम्बल आदि।
-पर्वत शिखर गाडविन आस्टिन या माउण्ट के 2 (8,611 मी.), कंचनजंघा (8,598 मी.), नंगा पर्वत (8,126 मी.), नंदादेवी (7,717 मी.), कामेत (7,756 मी.), मकालू (8,078 मी.), अन्नपूर्णा (8,078 मी.), मनसालू (8,156 मी.), बद्रीनाथ, केदारनाथ, त्रिशूल, माना, गंगोत्री, गुरुशिखर, महेन्द्रगिरि, अनाईमुडी आदि।
-झील डल, वुलर, नैनी, सातताल, नागिन, सांभर, डीडवाना, चिल्का, हुसैन सागर, वेम्बानद आदि।
-जलवायु  मानसूनी
-वनक्षेत्र  750 लाख हेक्टेयर [18]
-प्रमुख मिट्टियाँ जलोढ़, काली, लाल, पीली, लैटेराइट, मरुस्थलीय, पर्वतीय, नमकीन एवं पीट तथा दलदली।
-सिंचाई [19]  नहरें (40.0%) कुएँ (37.8%), तालाब (14.5%) तथा अन्य (7.7%)।
-कृषि के प्रकार  तर खेती [20], आर्द्र खेती [21], झूम कृषि [22] तथा पर्वतीय कृषि [23]।
-खाद्यान्न फ़सलें चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, रागी, जौ आदि।
-नक़दी फ़सलें गन्ना, चाय, काफ़ी, रबड़, नारियल, फल एवं सब्जियाँ, दालें, तम्बाकू, कपास तथा तिलहनी फ़सलें।
-खनिज संसाधन लौह अयस्क, कोयला, मैंगनीज, अभ्रक, बॉक्साइट, चूनापत्थर, यूरेनियम, सोना, चाँदी, हीरा, खनिज तेल आदि।
जनसंख्या  1,028,610,328 (2001) [24]
-पुरुष जनसंख्या  53,21,56,772
-महिला जनसंख्या  49,64,53,556
-अनुसूचित जाति [25]  16,66,35,700 (कुल जनसंख्या का 16.2%)
-अनुसूचित जनजाति [26]  8,43,26,240 (कुल जनसंख्या का 8.2%)
-प्रमुख जनजातियाँ गद्दी, गुज्जर, थारू, भोटिया, मिपुरी, रियाना, लेप्चा, मीणा, भील, गरासिया, कोली, महादेवी, कोंकना, संथाल, मुंडा, उराँव, बैगा, कोया, गोंड आदि।
-विश्व में स्थान (जनसंख्या)  दूसरा
-विश्व जनसंख्या का प्रतिशत  16.87%
-जनसंख्या घनत्व  324 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी
-जनसंख्या वृद्धि दर (दशक)  21.54% (1991-2001)
-औसत वृद्धि दर [27]  1.95%
-लिंगानुपात ♀/♂  933 : 1000
-राज भाषा हिन्दी [28]
-प्रति व्यक्ति आय  27,786 रु0 (2007-08)
अर्थव्यवस्था
-निर्यात की वस्तुएँ  इंजीनियरी उपकरण, मसाले, तम्बाकू, चमड़े का सामान, चाय, लौह अयस्क आदि।
-आयात की वस्तुएँ  रसायन, मशीनरी, उपकरण, उर्वरक, खनिज तेल आदि।
-व्यापार सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, नये राष्ट्रों के राष्ट्रकुल (सी.आई.एस.) के देश, जापान, इटली, जर्मनी, पूर्वी यूरोपीय देश।
-राष्ट्रीयकृत बैंकों की संख्या  20
-तेलशोधनशालाओं की संख्या  13
-कुल उद्यमों की संख्या  4,212 करोड़ (कृषि में संलग्न उद्यमों के अतिरिक्त)
-उद्यम (ग्रामीण क्षेत्र)  2,581 करोड़ (कृषि में संलग्न उद्यमों के अतिरिक्त)
-उद्यम (शहरी क्षेत्र)  1,631 करोड़ (38.7%)।
-कृषि कार्य का प्रतिशत [29]  15%
-गैर-कृषि कार्य का प्रतिशत [30]  85%
-उद्यम (10 या अधिक कामगार)  5.83 लाख [31]
-सर्वाधिक उद्यम (पांच राज्य) तमिलनाडु-4446999 (10.56%), महाराष्ट्र- 4374764 (10.39%), पश्चिम बंगाल- 4285688 (10.17%), आंध्र प्रदेश- 4023411 (9.55%), उत्तर प्रदेश- 4015926 (9.53%)।
-सर्वाधिक उद्यम (केन्द्र शासित) दिल्ली-753795(1.79%), चंडीगढ़- 65906 (0.16%), पाण्डिचेरी-49915 (0.12%)।
-प्रमुख उद्योग  लौह-इस्पात, जलयान निर्माण, मोटर वाहन, साइकिल, सूतीवस्त्र, ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र, वायुयान, उर्वरक, दवाएं एवं औषधियां, रेलवे इंजन, रेल के डिब्बे, जूट, काग़ज़, चीनी, सीमेण्ट, मत्स्ययन, चमड़ा उद्योग, शीशा, भारी एवं हल्के रासायनिक उद्योग तथा रबड़ उद्योग।
-बड़े बन्दरगाहों की संख्या  12 बड़े एवं 139 छोटे बंदरगाह।
-प्रमुख बन्दरगाह मुम्बई, न्हावा शेवा, कलकत्ता, हल्दिया, गोवा, कोचीन, कांडला, चेन्नई, न्यू मंगलोर, तूतीकोरिन, विशाखापटनम, मझगाँव, अलेप्पी, भटकल, भावनगर, कालीकट, काकीनाडा, कुडलूर, धनुषकोडि, पाराद्वीप, गोपालपुर।
-पश्चिमी तट प्रमुख बंदरगाह  कांडला, मुंबई, मार्मुगाओं, न्यू मंगलौर, कोचीन और जवाहरलाल नेहरू
-पूर्वी तट के प्रमुख बंदरगाह  तूतीकोरिन, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप और कोलकाता- हल्दिया।
-पुराना बंदरगाह (पूर्वी तट) चेन्नई
-सबसे गहरा बंदरगाह  विशाखापत्तनम
-कार्यशील व्यक्तियों की संख्या  31.5 करोड़, मुख्य श्रमिक- 28.5 करोड़, सीमान्त श्रमिक- 3,0 करोड़
-ताजे जल की मछलियाँ  सॉ-फिश, लाइवफिश, फैदरबैंक, एंकावी, ईल, बाटा, रेवा, तोर, चिताला, कटला, मिंगाल, मिल्कफिश, कार्प, पर्लशाट आदि।
परिवहन
-जल परिवहन कोलकाता (केन्द्रीय अन्तर्देशीय जल परिवहन निगम का मुख्यालय)
-सड़क मार्ग की कुल लम्बाई  33,19,664 किमी.
-राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या  संख्यानुसार 109 जबकि कुल 143 (लगभग 19 निर्माणाधीन)।
-राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई  66,590 किमी.
-सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग  राजमार्ग संख्या 7 (लंबाई- 2369 किमी वाराणसी से कन्याकुमारी)
-राष्ट्रीय राजमार्ग (स्वर्ण चतुर्भुज)  5,846 किमी (योजना के अंतर्गत शामिल राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई)
-राष्ट्रीय राजमार्ग (उत्तर-दक्षिण कॉरिडॉर)  7,300 किमी (योजना अंतर्गत शामिल राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई)
-रेलमार्ग  63,465 किमी.
-रेलवे परिमण्डलों की संख्या  16
-सबसे बड़ा रेलवे परिमण्डल  उत्तर रेलवे (11,023 किमी., मुख्यालय- नई दिल्ली)
-रेलवे स्टेशनों की संख्या  लगभग 7,133 (31 मार्च, 2006 तक)
-रेल यात्रियों की संख्या  50,927 लाख प्रतिदिन (2002-03)
-रेल इंजनों की संख्या</ref>  8,025 (मार्च, 2006)।
-रेल सवारी डिब्बों की संख्या  42,570 (2001)
-रेल माल डिब्बों की संख्या  2,22,147 (2001)
-यात्री रेलगाड़ियों की संख्या  44,090
-अन्य सवारी रेल गाड़ियाँ  5,990
-अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों की संख्या  पाँच [32]
-मुक्त आकाशीय हवाई अड्डा गया (बिहार)
-प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे  बंगलौर, हैदराबाद, अहमदाबाद, गोवा, अमृतसर, गुवाहाटी एवं कोचीन।
अन्य
-जीव-जन्तु (अनुमानित)  75,000 जिनमें उभयचर- 2,500, सरीसृप- 450, पक्षी- 2,000 तथा स्तनपायी- 850
-राष्ट्रीय उद्यान  70
-वन्य प्राणी विहार  412
-प्राणी उद्यान  35
-राष्ट्रीय प्रतीक  राष्ट्रध्वज- तिरंगा
-राजचिन्ह  सिंहशीर्ष (सारनाथ)
-राष्ट्र गान जन गण मन [33]
-राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् [34]
-राष्ट्रीय पशु बाघ (पैंथर टाइग्रिस)।
-राष्ट्रीय पक्षी मयूर (पावो क्रिस्टेशस)।
-स्वतन्त्रता दिवस 15 अगस्त
-गणतन्त्र दिवस 26 जनवरी
 मुख्य लेख : भारत में वन्य जीवन
वन्य जीवन प्रकृति की अमूल्य देन है। भविष्य में वन्य प्राणियों की समाप्ति की आशंका के कारण भारत में सर्वप्रथम 7 जुलाई, 1955 को वन्य प्राणी दिवस मनाया गया । यह भी निर्णय लिया गया कि प्रत्येक वर्ष दो अक्तूबर से पूरे सप्ताह तक वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जाएगा। वर्ष 1956 से वन्य प्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। भारत के संरक्षण कार्यक्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मज़बूत संस्थागत ढांचे की रचना की गयी है।
भारतीय भाषा परिवार

 मुख्य लेख : भारतीय भाषाएँ
भारत की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्नता में एकता है। भारत में विभिन्नता का स्वरूप न केवल भौगोलिक है, बल्कि भाषायी तथा सांस्कृतिक भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1652 मातृभाषायें प्रचलन में हैं, जबकि संविधान द्वारा 22 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान की गयी है। संविधान के अनुच्छेद 344 के अंतर्गत पहले केवल 15 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता दी गयी थी, लेकिन 21वें संविधान संशोधन के द्वारा सिन्धी को तथा 71वाँ संविधान संशोधन द्वारा नेपाली, कोंकणी तथा मणिपुरी को भी राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया। बाद में 92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में चार नई भाषाओं बोडो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली को राजभाषा में शामिल कर लिया गया। इस प्रकार अब संविधान में 22 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है।
शिक्षा

 मुख्य लेख : भारत में शिक्षा
1911 में भारतीय जनगणना के समय साक्षरता को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि "एक पत्र पढ़-लिखकर उसका उत्तर दे देने की योग्यता" साक्षरता है। भारत में लम्बे समय से लिखित भाषा का अस्तित्व है, किन्तु प्रत्यक्ष सूचना के अभाव के कारण इसका संतोषजनक विकास नहीं हुआ। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की लेखन चित्रलिपि तीन हज़ार वर्ष ईसा पूर्व और बाद की है। यद्यपि अभी तक इस लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है, तथापि इससे यह स्पष्ट है कि भारतीयों के पास कई शताब्दियों पहले से ही एक लिखित भाषा थी और यहाँ के लोग पढ़ और लिख सकते थे। हड़प्पा और अशोक के काल के बीच में पन्द्रह सौ वर्षों का ऐसा समय रहा है, जिसमें की कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता। लेकिन पाणिनि ने उस समय भारतीयों के द्वारा बोली जाने वाली विभिन्न भाषाओं का उल्लेख किया है।
भारतीय कला

 मुख्य लेख : भारतीय कला
भारतीय कला अपनी प्राचीनता तथा विविधता के लिए विख्यात रही है। आज जिस रूप में 'कला' शब्द अत्यन्त व्यापक और बहुअर्थी हो गया है, प्राचीन काल में उसका एक छोटा हिस्सा भी न था। यदि ऐतिहासिक काल को छोड़ और पीछे प्रागैतिहासिक काल पर दृष्टि डाली जाए तो विभिन्न नदियों की घाटियों में पुरातत्त्वविदों को खुदाई में मिले असंख्य पाषाण उपकरण भारत के आदि मनुष्यों की कलात्मक प्रवृत्तियों के साक्षात प्रमाण हैं। पत्थर के टुकड़े को विभिन्न तकनीकों से विभिन्न प्रयोजनों के अनुरूप स्वरूप प्रदान किया जाता था।
भारतीय संगीत
 मुख्य लेख : संगीत
संगीत मानवीय लय एवं तालबद्ध अभिव्यक्ति है। भारतीय संगीत अपनी मधुरता, लयबद्धता तथा विविधता के लिए जाना जाता है। वर्तमान भारतीय संगीत का जो रूप दृष्टिगत होता है, वह आधुनिक युग की प्रस्तुति नहीं है, बल्कि यह भारतीय इतिहास के प्रासम्भ के साथ ही जुड़ा हुआ है। वैदिक काल में ही भारतीय संगीत के बीज पड़ चुके थे। सामवेद उन वैदिक ॠचाओं का संग्रह मात्र है, जो गेय हैं। प्राचीन काल से ही ईश्वर आराधना हेतु भजनों के प्रयोग की परम्परा रही है। यहाँ तक की यज्ञादि के अवसर पर भी समूहगान होते थे।
नृत्य कला
 मुख्य लेख : नृत्य कला
भारत में नृत्य की अनेक शैलियाँ हैं। भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी, कथकली, मणिपुरी, कथक आदि परंपरागत नृत्य शैलियाँ हैं तो भंगड़ा, गिद्दा, नगा, बिहू आदि लोक प्रचलित नृत्य है। ये नृत्य शैलियाँ पूरे देश में विख्यात है। गुजरात का गरबा हरियाणा में भी मंचो की शोभा को बढ़ाता है और पंजाब का भंगड़ा दक्षिण भारत में भी बड़े शौक़ से देखा जाता है। भारत के संगीत को विकसित करने में अमीर ख़ुसरो, तानसेन, बैजू बावरा जैसे संगीतकारों का विशेष योगदान रहा है। आज भारत के संगीत-क्षितिज पर बिस्मिल्ला ख़ाँ‎, ज़ाकिर हुसैन, रवि शंकर समान रूप से सम्मानित हैं।
संस्कृति

 मुख्य लेख : भारतीय संस्कृति
त्योहार और मेले भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। यह भी कह सकते हैं कि भारतीय संस्कृति अपने हृदय के माधुर्य को त्योहार और मेलों में व्यक्त करती है, तो अधिक सार्थक होगा। भारतीय संस्कृति प्रेम, सौहार्द्र, करुणा, मैत्री, दया और उदारता जैसे मानवीय गुणों से परिपूर्ण है। यह उल्लास, उत्साह और विकास को एक साथ समेटे हुए है। आनन्द और माधुर्य तो जैसे इसके प्राण हैं। यहाँ हर कार्य आनन्द के साथ शुरू होता है और माधुर्य के साथ सम्पन्न होता है। भारत जैसे विशाल धर्मप्राण देश में आस्था और विश्वास के साथ मिल कर यही आनन्द और उल्लास त्योहार और मेलों में फूट पड़ता है। त्योहार और मेले हमारी धार्मिक आस्थाओं, सामाजिक परम्पराओं और आर्थिक आवश्यकताओं की त्रिवेणी है, जिनमें समूचा जनमानस भावविभोर होकर गोते लगाता है।
भारतीय भोजन

 मुख्य लेख : भारतीय भोजन
भारतीय भोजन स्वाद और सुगंध का मधुर संगम है। पूरन पूरी हो या दाल बाटी, तंदूरी रोटी हो या शाही पुलाव, पंजाबी भोजन हो या मारवाड़ी भोजन, ज़िक्र चाहे जिस किसी का भी हो रहा हो, केवल नाम सुनने से ही भूख जाग उठती है। भारत में पकवानों की विविधता भी बहुत अधिक है। राजस्थान में दाल-बाटी, कोलकाता में चावल-मछली, पंजाब में रोटी-साग, दक्षिण में इडली-डोसा। इतनी विविधता के बीच एकता का प्रमाण यह है कि आज दक्षिण भारत के लोग दाल-रोटी उसी शौक़ से खाते हैं, जितने शौक़ से उत्तर भारतीय इडली-डोसा खाते हैं। सचमुच भारत एक रंगबिरंगा गुलदस्ता है।
पर्यटन

 मुख्य लेख : पर्यटन
भारतवासी अपनी दीर्घकालीन, अनवरत एवं सतरंगी उपलब्धियों से युक्त इतिहास पर गर्व कर सकते हैं। प्राचीन काल से ही भारत एक अत्यन्त ही विविधता सम्पन्न देश रहा है और यह विशेषता आज भी समय की घड़ी पर अंकित है। यहाँ प्रारम्भ से अनेक अध्यावसायों का अनुसरण होता रहा है, पृथक्-पृथक् मान्यताएँ हैं, लोगों के रिवाज़ और दृष्टिकोणों के विभिन्न रंगों से सज़ा यह देश अतीत को भूत, वर्तमान एवं भविष्य की आँखों से देखने के लिए आह्वान कर रहा है। किन्तु बहुरंगी सभ्यता एवं संस्कृति वाले देश के सभी आयामों को समझने का प्रयास इतना आसान नहीं है।

हर वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्‍येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्‍नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्‍वपूर्ण स्‍मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। यही वह दिन है जब जनवरी 1930 में लाहौर ने पंडित जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगे को फहराया था और स्‍वतंत्र भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस की स्‍थापना की घोषणा की गई थी।
26 जनवरी 1950 वह दिन था जब भारतीय गणतंत्र और इसका संविधान प्रभावी हुए। यही वह दिन था जब 1965 में हिन्‍दी को भारत की राजभाषा घोषित किया गया।

आयोजन

इस अवसर के महत्‍व को दर्शाने के लिए हर वर्ष गणतंत्र दिवस पूरे देश में बड़े उत्‍साह के साथ मनाया जाता है, और राजधानी, नई दिल्‍ली में राष्‍ट्र‍पति भवन के समीप रायसीना पहाड़ी से राजपथ पर गुजरते हुए इंडिया गेट तक और बाद में ऐतिहासिक लाल किले तक शानदार परेड का आयोजन किया जाता है।
यह आयोजन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इंडिया गेट पर अमर जवान ज्‍योति पर पुष्‍प अर्पित करने के साथ आरंभ होता है, जो उन सभी सैनिकों की स्‍मृति में है जिन्‍होंने देश के लिए अपने जीवन कुर्बान कर दिए। इसे शीघ्र बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है, राष्‍ट्रपति महोदय द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराया जाता है और राष्‍ट्रीय गानहोता है। इस प्रकार परेड आरंभ होती है।

महामहिम राष्‍ट्रपति के साथ एक उल्‍लेखनीय विदेशी राष्‍ट्र प्रमुख आते हैं, जिन्‍हें आयोजन के मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।
राष्‍ट्रपति महोदय के सामने से खुली जीपों में वीर सैनिक गुजरते हैं। भारत के राष्‍ट्रपति, जो भारतीय सशस्‍त्र बल, के मुख्‍य कमांडर हैं, विशाल परेड की सलामी लेते हैं। भारतीय सेना द्वारा इसके नवीनतम हथियारों और बलों का प्रदर्शन किया जाता है जैसे टैंक, मिसाइल, राडार आदि।
इसके शीघ्र बाद राष्‍ट्रपति द्वारा सशस्‍त्र सेना के सैनिकों को बहादुरी के पुरस्‍कार और मेडल दिए जाते हैं जिन्‍होंने अपने क्षेत्र में अभूतपूर्व साहस दिखाया और ऐसे नागरिकों को भी सम्‍मानित किया जाता है जिन्‍होंने विभिन्‍न परिस्थितियों में वीरता के अलग-अलग कारनामे किए।
इसके बाद सशस्‍त्र सेना के हेलिकॉप्‍टर दर्शकों पर गुलाब की पंखुडियों की बारिश करते हुए फ्लाई पास्‍ट करते हैं।
सेना की परेड के बाद रंगारंग सांस्‍कृतिक परेड होती है। विभिन्‍न राज्‍यों से आई झांकियों के रूप में भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है। प्रत्‍येक राज्‍य अपने अनोखे त्‍यौहारों, ऐतिहासिक स्‍थलों और कला का प्रदर्शन करते है। यह प्रदर्शनी भारत की संस्‍कृति की विविधता और समृद्धि को एक त्‍यौहार का रंग देती है।

विभिन्‍न सरकारी विभागों और भारत सरकार के मंत्रालयों की झांकियां भी राष्‍ट्र की प्र‍गति में अपने योगदान प्रस्‍तुत करती है। इस परेड का सबसे खुशनुमा हिस्‍सा तब आता है जब बच्‍चे, जिन्‍हें राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार हाथियों पर बैठकर सामने आते हैं। पूरे देश के स्‍कूली बच्‍चे परेड में अलग-अलग लोक नृत्‍य और देश भक्ति की धुनों पर गीत प्रस्‍तुत करते हैं।
परेड में कुशल मोटर साइकिल सवार, जो सशस्‍त्र सेना कार्मिक होते हैं, अपने प्रदर्शन करते हैं। परेड का सर्वाधिक प्रतीक्षित भाग फ्लाई पास्‍ट है जो भारतीय वायु सेना द्वारा किया जाता है। फ्लाई पास्‍ट परेड का अंतिम पड़ाव है, जब भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान राष्‍ट्रपति का अभिवादन करते हुए मंच पर से गुजरते हैं।
  जीवन्‍त वेबकास्‍ट   के जरिए गणतंत्र दिवस की परेड उन लाखों व्‍यक्तियों को उपलब्‍ध कराई जाती है जो इंटरनेट पर परेड देखना चाहते हैं। यह आयोजन होने के बाद भी इसके कुछ खास हिस्‍से "मांग पर वीडियो उपलब्‍ध" पर मौजूद होते हैं।
राज्‍यों में होने वाले आयोजन अपेक्षाकृत छोटे स्‍तर पर होते हैं और ये सभी राज्‍यों की राजधानियों में आयोजित किए जाते हैं। यहां राज्य के राज्‍यपाल तिरंगा झंडा फहराते हैं। समान प्रकार के आयोजन जिला मुख्‍यालय, उप संभाग, तालुकों और पंचायतों में भी किए जाते हैं।

प्रधानमंत्री की रैली

गणतंत्र दिवस का आयोजन कुल मिलाकर तीन दिनों का होता है और 27 जनवरी को इंडिया गेट पर इस आयोजन के बाद प्रधानमंत्री की रैली में एनसीसी केडेट्स द्वारा विभिन्‍न चौंका देने वाले प्रदर्शन और ड्रिल किए जाते हैं।

लोक तरंग

सात क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्रों के साथ मिलकर संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हर वर्ष 24 से 29 जनवरी के बीच ‘’लोक तरंग – राष्‍ट्रीय लोक नृत्‍य समारोह’’ आयोजित किया जाता है। इस आयोजन में लोगों को देश के विभिन्‍न भागों से आए रंग बिरंगे और चमकदार और वास्‍तविक लोक नृत्‍य देखने का अनोखा अवसर मिलता है।

बीटिंग द रिट्रीट


बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजनों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। सभी महत्‍वपूर्ण सरकारी भवनों को 26 जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सुंदरता पूर्वक सजाया जाता है। हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को अर्थात गणतंत्र दिवस के बाद अर्थात गणतंत्र की तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट आयोजन किया जाता है। यह आयोजन तीन सेनाओं के एक साथ मिलकर सामूहिक बैंड वादन से आरंभ होता है जो लोकप्रिय मार्चिंग धुनें बजाते हैं।
ड्रमर भी एकल प्रदर्शन (जिसे ड्रमर्स कॉल कहते हैं) करते हैं। ड्रमर्स द्वारा एबाइडिड विद मी (यह महात्‍मा गांधी की प्रिय धुनों में से एक कहीं जाती है) बजाई जाती है और ट्युबुलर घंटियों द्वारा चाइम्‍स बजाई जाती हैं, जो काफी दूरी पर रखी होती हैं और इससे एक मनमोहक दृश्‍य बनता है।
इसके बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है, जब बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के समीप जाते हैं और बैंड वापिस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। तब सूचित किया जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है। बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन ‘’सारे जहां से अच्‍छा बजाते हैं।
ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्‍ट्रीय ध्‍वज को उतार लिया जाता हैं तथा राष्‍ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता हैं।

राष्‍ट्रीय दिवस

स्‍वतंत्रता दिवस


भारत का स्‍वतंत्रता दिवस, जिसे हर वर्ष 15 अगस्‍त को देश भर में हर्ष उल्‍लास के साथ मनाया जाता है, इसमें अनेक राष्‍ट्रीय दिवसों की खुशी शामिल है, क्‍योंकि यह प्रत्‍येक भारतीय को एक नई शुरूआत की याद दिलाता है, 200 वर्ष से अधिक समय तक ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से छूट कर एक नए युग की शुरूआत हुई थी। वह 15 अगस्‍त 1947 का भाग्‍यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्‍वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बाग डोर देश के नेताओं को सौंप दी गई। भारतीय द्वारा आजादी पाना उसका भाग्‍य था, क्‍योंकि स्‍वतंत्रता संघर्ष काफी लम्‍बे समय चला और यह एक थका देने वाला अनुभव था, जिसमें अनेक स्‍वतंत्रता सेनानियों ने अपने जीवन कुर्बान कर दिए। स्‍वतंत्रता दिवस आयोजनों का वेब कास्‍ट देखें(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)

गणतंत्र दिवस


भारत देश एक गणतंत्र बना जब 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार यह सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोक‍तांत्रिक गणतंत्र के रूप में सामने आया भारतीय संविधान, जिसे देश की सरकार की रूपरेखा का प्रतिनिधित्‍व करने वाले पर्याप्‍त विचार विमर्श के बाद विधान मंडल द्वारा अपनाया गया तब से 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में भारी उत्‍साह के साथ मनाया जाता है और इसे राष्‍ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्‍वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्‍होंने आजादी के संघर्ष में अपने जीवन खो दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयां जीती। गणतंत्र दिवस आयोजन का वेब कास्‍ट देखें(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं)

गाँधी ज़यंती


2 अक्‍तूबर का दिन राष्‍ट्रपिता के प्रति समर्पित है। जब देश मोहन दास करम चन्‍द्र गांधी का जन्‍मदिन मनाता है तो वही राष्‍ट्र के बापू का जन्‍मदिन है। यह दिन शांति के दूत की इस कुर्बानी की याद सभी भारतीय नागरिकों को दिलाती है, ताकि वे स्‍वतंत्रता के इस उपहार को सच्‍चे अर्थों में ग्रहण कर सकें। अहिंसात्‍मक प्रतिरोध द्वारा ब्रिटिश उपनिवेशवाद कानून के प्रति कोई प्रतिरोधकता की भावना कभी असफल नहीं रही है जिसने देश में रहने वाले नागरिकों के बीच आपसी भाई चारे का जीवन जीने की भावना को प्रबल बनाया है। उन्‍होंने अस्‍पृश्‍य, जिन्‍हें वे 'हरिजन' कहते थे, के सामाजिक उत्‍थान के लिए गहन रूप से कार्य किया है और बाद में वे 'भारत छोड़ो आंदोलन' के नेता थे, जिसने भारत में ब्रिटिश प्रभुत्‍व के प्रति असंतोष का पहला संकेत दिया।

भारतीय तिरंगे का इतिहास


"सभी राष्‍ट्रों के लिए एक ध्‍वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्‍यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्‍ट करना पाप होगा। ध्‍वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्‍वज पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्‍लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्‍द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है।"

"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय मुस्लिम, ईसाई, ज्‍यूस, पारसी और अन्‍य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, एक ही ध्‍वज को मान्‍यता दें और इसके लिए मर मिटें।"

- महात्‍मा गांधी
प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है। यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज की अभिकल्‍पना पिंगली वैंकैयानन्‍द ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्‍चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में ‘’तिरंगे’’ का अर्थ भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज है।
भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्‍वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।

तिरंगे का विकास

यह जानना अत्‍यंत रोचक है कि हमारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज अपने आरंभ से किन-किन परिवर्तनों से गुजरा। इसे हमारे स्‍वतंत्रता के राष्‍ट्रीय संग्राम के दौरान खोजा गया या मान्‍यता दी गई। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्‍ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है। हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं:

1906 में भारत का गैर आधिकारिक ध्‍वज

1907 में भीका‍जीकामा द्वारा फहराया गया बर्लिन समिति का ध्‍वज

इस ध्‍वज को 1917 में गघरेलू शासन आंदोलन के दौरान अपनाया गया

इस ध्‍वज को 1921 में गैर अधिकारिक रूप से अपनाया गया

इस ध्‍वज को 1931 में अपनाया गया। यह ध्‍वज भारतीय राष्‍ट्रीय सेना का संग्राम चिन्‍ह भी था।

भारत का वर्तमान तिरंगा ध्‍वज
प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
द्वितीय ध्‍वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले ध्‍वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
तृतीय ध्‍वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।
वर्ष 1931 ध्‍वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया । यह ध्‍वज जो वर्तमान स्‍वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। तथापि यह स्‍पष्‍ट रूप से बताया गया इसका कोई साम्‍प्रदायिक महत्‍व नहीं था और इसकी व्‍याख्‍या इस प्रकार की जानी थी।
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया। स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा। केवल ध्‍वज में चलते हुए चरखे के स्‍थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना।

ध्‍वज के रंग

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।

चक्र

इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।

ध्‍वज संहिता

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है। बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। संहिता के पहले भाग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का सामान्‍य विवरण है। संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्‍द्रीय और राज्‍य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।
26 जनवरी 2002 विधान पर आधारित कुछ नियम और विनियमन हैं कि ध्‍वज को किस प्रकार फहराया जाए:

क्‍या करें

  • राष्‍ट्रीय ध्‍वज को शैक्षिक संस्‍थानों (विद्यालयों, महाविद्यालयों, खेल परिसरों, स्‍काउट शिविरों आदि) में ध्‍वज को सम्‍मान देने की प्रेरणा देने के लिए फहराया जा सकता है। विद्यालयों में ध्‍वज आरोहण में निष्‍ठा की एक शपथ शामिल की गई है।
  • किसी सार्वजनिक, निजी संगठन या एक शैक्षिक संस्‍थान के सदस्‍य द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज का अरोहण/प्रदर्शन सभी दिनों और अवसरों, आयोजनों पर अन्‍यथा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के मान सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा के अनुरूप अवसरों पर किया जा सकता है।
  • नई संहिता की धारा 2 में सभी निजी नागरिकों अपने परिसरों में ध्‍वज फहराने का अधिकार देना स्‍वीकार किया गया है।

क्‍या न करें

  • इस ध्‍वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्‍त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक फहराया जाना चाहिए।
  • इस ध्‍वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्‍पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता।
  • किसी अन्‍य ध्‍वज या ध्‍वज पट्ट को हमारे ध्‍वज से ऊंचे स्‍थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्‍वज को वंदनवार, ध्‍वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।

भारत के बारे में रोचक तथ्‍य

  • भारत ने अपने आखिरी 100000 वर्षों के इतिहास में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
  • जब कई संस्कृतियों में 5000 साल पहले घुमंतू वनवासी थे, तब भारतीयों ने सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
  • भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इं‍डस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्‍यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
  • ईरान से आए आक्रमणकारियों ने सिंधु को हिंदु की तरह प्रयोग किया। ‘हिंदुस्तान’ नाम सिंधु और हिंदु का संयोजन है, जो कि हिंदुओं की भूमि के संदर्भ में प्रयुक्त होता है।
  • शतरंज की खोज भारत में की गई थी।
  • बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का अध्‍ययन भारत में ही आरंभ हुआ था।
  • ‘स्‍थान मूल्‍य प्रणाली’ और ‘दशमलव प्रणाली’ का विकास भारत में 100 बी सी में हुआ था।
  • विश्‍व का प्रथम ग्रेनाइट मंदिर तमिलनाडु के तंजौर में बृहदेश्‍वर मंदिर है। इस मंदिर के शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के टुकड़ों से बने हैं। यह भव्‍य मंदिर राजाराज चोल के राज्‍य के दौरान केवल 5 वर्ष की अवधि में (1004 ए डी और 1009 ए डी के दौरान) निर्मित किया गया था।
  • भारत विश्‍व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और विश्‍व का सातवां सबसे बड़ा देश तथा प्राचीन सभ्‍यताओं में से एक है।
  • सांप सीढ़ी का खेल तेरहवीं शताब्‍दी में कवि संत ज्ञान देव द्वारा तैयार किया गया था इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे। इस खेल में सीढियां वरदानों का प्रतिनिधित्‍व करती थीं जबकि सांप अवगुणों को दर्शाते थे। इस खेल को कौडियों तथा पांसे के साथ खेला जाता था। आगे चल कर इस खेल में कई बदलाव किए गए, परन्‍तु इसका अर्थ वहीं रहा अर्थात अच्‍छे काम लोगों को स्‍वर्ग की ओर ले जाते हैं जबकि बुरे काम दोबारा जन्‍म के चक्र में डाल देते हैं।
  • दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल प्रदेश के चायल नामक स्‍थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।
  • भारत में विश्‍व भर से सबसे अधिक संख्‍या में डाक खाने स्थित हैं।
  • भारतीय रेल देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है। यह दस लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
  • विश्‍व का सबसे प्रथम विश्‍वविद्यालय 700 बी सी में तक्षशिला में स्‍थापित किया गया था। इसमें 60 से अधिक विषयों में 10,500 से अधिक छात्र दुनियाभर से आकर अध्‍ययन करते थे। नालंदा विश्‍वविद्यालय चौथी शताब्‍दी में स्‍थापित किया गया था जो शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीन भारत की महानतम उपलब्धियों में से एक है।
  • आयुर्वेद मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे आरंभिक चिकित्‍सा शाखा है। शाखा विज्ञान के जनक माने जाने वाले चरक में 2500 वर्ष पहले आयुर्वेद का समेकन किया था।
  • भारत 17वीं शताब्‍दी के आरंभ तक ब्रिटिश राज्‍य आने से पहले सबसे सम्‍पन्‍न देश था। क्रिस्‍टोफर कोलम्‍बस भारत की सम्‍पन्‍नता से आकर्षित हो कर भारत आने का समुद्री मार्ग खोजने चला और उसने गलती से अमेरिका को खोज लिया।
  • नौवहन की कला और नौवहन का जन्‍म 6000 वर्ष पहले सिंध नदी में हुआ था। दुनिया का सबसे पहला नौवहन संस्‍कृ‍त शब्‍द नव गति से उत्‍पन्‍न हुआ है। शब्‍द नौ सेना भी संस्‍कृत शब्‍द नोउ से हुआ।
  • भास्‍कराचार्य ने खगोल शास्‍त्र के कई सौ साल पहले पृथ्‍वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्‍कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्‍वी को 365.258756484 दिन का समय लगता है।
  • भारतीय गणितज्ञ बुधायन द्वारा ‘पाई’ का मूल्‍य ज्ञात किया गया था और उन्‍होंने जिस संकल्‍पना को समझाया उसे पाइथागोरस का प्रमेय करते हैं। उन्‍होंने इसकी खोज छठवीं शताब्‍दी में की, जो यूरोपीय गणितज्ञों से काफी पहले की गई थी।
  • बीज गणित, त्रिकोण मिति और कलन का उद्भव भी भारत में हुआ था। चतुष्‍पद समीकरण का उपयोग 11वीं शताब्‍दी में श्री धराचार्य द्वारा किया गया था। ग्रीक तथा रोमनों द्वारा उपयोग की गई की सबसे बड़ी संख्‍या 106 थी जबकि हिन्‍दुओं ने 10*53 जितने बड़े अंकों का उपयोग (अर्थात 10 की घात 53), के साथ विशिष्‍ट नाम 5000 बीसी के दौरान किया। आज भी उपयोग की जाने वाली सबसे बड़ी संख्‍या टेरा: 10*12 (10 की घात12) है।
  • वर्ष 1896 तक भारत विश्‍व में हीरे का एक मात्र स्रोत था।
    (स्रोत: जेमोलॉजिकल इंस्‍टी‍ट्यूट ऑफ अमेरिका)
  • बेलीपुल विश्‍व‍ में सबसे ऊंचा पुल है। यह हिमाचल पर्वत में द्रास और सुरु नदियों के बीच लद्दाख घाटी में स्थित है। इसका निर्माण अगस्‍त 1982 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था।
  • सुश्रुत को शल्‍य चिकित्‍सा का जनक माना जाता है। लगभग 2600 वर्ष पहले सुश्रुत और उनके सहयोगियों ने मोतियाबिंद, कृत्रिम अंगों को लगना, शल्‍य क्रिया द्वारा प्रसव, अस्थिभंग जोड़ना, मूत्राशय की पथरी, प्‍लास्टिक सर्जरी और मस्तिष्‍क की शल्‍य क्रियाएं आदि की।
  • निश्‍चेतक का उपयोग भारतीय प्राचीन चिकित्‍सा विज्ञान में भली भांति ज्ञात था। शारीरिकी, भ्रूण विज्ञान, पाचन, चयापचय, शरीर क्रिया विज्ञान, इटियोलॉजी, आनुवांशिकी और प्रतिरक्षा विज्ञान आदि विषय भी प्राचीन भारतीय ग्रंथों में पाए जाते हैं।
  • भारत से 90 देशों को सॉफ्टवेयर का निर्यात किया जाता है।
  • भारत में 4 धर्मों का जन्‍म हुआ – हिन्‍दु, बौद्ध, जैन और सिक्‍ख धर्म और जिनका पालन दुनिया की आबादी का 25 प्रतिशत हिस्‍सा करता है।
  • जैन धर्म और बौद्ध धर्म की स्‍थापना भारत में क्रमश: 600 बी सी और 500 बी सी में हुई थी।
  • इस्‍लाम भारत का और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
  • भारत में 3,00,000 मस्जिदें हैं जो किसी अन्‍य देश से अधिक हैं, यहां तक कि मुस्लिम देशों से भी अधिक।
  • भारत में सबसे पुराना यूरोपियन चर्च और सिनागोग कोचीन शहर में है। इनका निर्माण क्रमश: 1503 और 1568 में किया गया था।
  • ज्‍यू और ईसाई व्‍यक्ति भारत में क्रमश: 200 बी सी और 52 ए डी से निवास करते हैं।
  • विश्‍व में सबसे बड़ा धार्मिक भवन अंगकोरवाट, हिन्‍दु मंदिर है जो कम्‍बोडिया में 11वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था।
  • तिरुपति शहर में बना विष्‍णु मंदिर 10वीं शताब्‍दी के दौरान बनाया गया था, यह विश्‍व का सबसे बड़ा धार्मिक गंतव्‍य है। रोम या मक्‍का धार्मिक स्‍थलों से भी बड़े इस स्‍थान पर प्रतिदिन औसतन 30 हजार श्रद्धालु आते हैं और लगभग 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति दिन चढ़ावा आता है।
  • सिक्‍ख धर्म का उद्भव पंजाब के पवित्र शहर अमृतसर में हुआ था। यहां प्रसिद्ध स्‍वर्ण मंदिर की स्‍थापना 1577 में गई थी।
  • वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन शहर है जब भगवान बुद्ध ने 500 बी सी में यहां आगमन किया और यह आज विश्‍व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
  • भारत द्वारा श्रीलंका, तिब्‍बत, भूटान, अफगानिस्‍तान और बांग्‍लादेश के 3,00,000 से अधिक शरणार्थियों को सुरक्षा दी जाती है, जो धार्मिक और राजनैतिक अभियोजन के फलस्‍वरूप वहां से निकल गए हैं।
  • माननीय दलाई लामा तिब्‍बती बौद्ध धर्म के निर्वासित धार्मिक नेता है, जो उत्तरी भारत के धर्मशाला में अपने निर्वासन में रह रहे हैं।
  • युद्ध कलाओं का विकास सबसे पहले भारत में किया गया और ये बौद्ध धर्म प्रचारकों द्वारा पूरे एशिया में फैलाई गई।
  • योग कला का उद्भव भारत में हुआ है और यह 5,000 वर्ष से अधिक समय से मौजूद है।
  • भारतीय सशस्‍त्र सेनाएं

    भारत सरकार भारत की तथा इसके प्रत्‍येक भाग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी है। भारतीय शस्‍त्र सेनाओं की सर्वोच्‍च कमान भारत के राष्‍ट्रपति के पास है। राष्‍ट्र की रक्षा का दायित्‍व मंत्री मंडल के पास होता है। इसके निर्वहन रक्षा मंत्रालय से किया जाता है, जो सशस्‍त्र बलों को देश की रक्षा के संदर्भ में उनके दायित्‍व के निर्वहन के लिए नीतिगत रूपरेखा और जानकारियां प्रदान करता है। भारतीय शस्‍त्र सेना में तीन प्रभाग हैं: भारतीय थल सेना, भारतीय नौ सेना और भारतीय वायु सेना।
    अधिक महत्‍वपपूर्ण लिंक्‍स देखें।

    भारतीय थल सेना

    भारतीय उप महाद्वीप में सेना की ताकत और राज्‍यों के शासन के नियंत्रण की तलाश में अनेक साम्राज्‍यों का आसंजक जमाव देखा गया। जैसे जैसे समय आगे बढ़ा सामाजिक मानकों को एक झण्‍डे तले कार्य स्‍थल के लोकाचार, अधिकारों और लाभों की प्रणाली तथा सेवाएं प्राप्‍त हुई।
    जैसा कि हम जानते हैं भारतीय सेना ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्‍वतंत्रता पाने के बाद देश में प्रचालनरत हुई। भारतीय थल सेना का मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में स्थित है और यह चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ (सीओएएस), जो समग्र रूप से सेना की कमान, नियंत्रण और प्रशासन के लिए उत्तरदायी है। सेना को 6 प्रचालन रत कमांडों (क्षेत्र की सेनाएं) और एक प्रशिक्षण कमांड में बांटा गया है, जो एक लेफ्टिनेंट जनरल के नियंत्रण में होती है, जो वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्‍टाफ (वीसीओएएस) के समकक्ष होते हैं और नई दिल्‍ली में सेना मुख्‍यालय के नियंत्रण में कार्य करते हैं।
     ।

    भारतीय नौ सेना

    आधुनिक भारतीय नौ सेना की नीव 17वीं शताब्‍दी में रखी गई थी, जब ईस्‍ट इंडिया कंपनी ने एक समुद्री सेना के रूप में ईस्‍ट इंडिया कंपनी की स्‍थापना की और इस प्रकार 1934 में रॉयल इंडियन नेवी की स्‍थापना हुई। भारतीय नौ सेना का मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में स्थित है और यह मुख्‍य नौ सेना अधिकारी – एक एड‍मिरल के नियंत्रण में होता है। भारतीय नौ सेना 3 क्षेत्रों की कमांडों के तहत तैनात की गई है, जिसमें से प्रत्‍येक का नियंत्रण एक फ्लैग अधिकारी द्वारा किया जाता है। पश्चिमी नौ सेना कमांड का मुख्‍यालय अरब सागर में मुम्‍बई में स्थित है; दक्षिणी नौ सेना कमांड केरल के कोच्चि (कोचीन) में है तथा यह भी अरब सागर में स्थित है; पूर्वी नौ सेना कमांड बंगाल की खाड़ी में आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में है।

    भारतीय वायु सेना

    भारतीय वायु सेना की स्‍थापना 8 अक्‍तूबर 1932 को की गई और 1 अप्रैल 1954 को एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी, भारतीय नौ सेना के एक संस्‍थापक सदस्‍य ने प्रथम भारतीय वायु सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला। समय बितने के साथ भारतीय वायु सेना ने अपने हवाई जहाजों और उपकरणों में अत्‍यधिक उन्‍नयन किए हैं और इस प्रक्रिया के भाग के रूप में इसमें 20 नए प्रकार के हवाई जहाज शामिल किए हैं। 20वीं शताब्‍दी के अंतिम दशक में भारतीय वायु सेना में महिलाओं को शामिल करने की पहल के लिए संरचना में असाधारण बदलाव किए गए, जिन्‍हें अल्‍प सेवा कालीन कमीशन हेतु लिया गया यह ऐसा समय था जब वायु सेना ने अब तक के कुछ अधिक जोखिम पूर्ण कार्य हाथ में लिए हुए थे।
     
भारत एक नजर में

पृष्‍ठभूमि

भारत विश्‍व की सबसे पुरानी सम्‍यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद पिछले 65 वर्षों में भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। साथ ही उन चंद देशों में भी इसका शुमार होने लगा है, जिनके कदम चांद तक पहुंच चुके हैं। भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है। विश्‍व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
पूरी तरह उत्‍तरी गोलार्ध में स्थित भारत की मुख्‍यभूमि 8 डिग्री 4 मिनट और 37 डिग्री 6 मिनट उत्‍तरी अक्षांश और 68 डिग्री 7 मिनट तथा 97 डिग्री 25 मिनट पूर्वी देशान्‍तर के बीच स्थित है । उत्‍तर से दक्षिण तक इसकी अधिकतम लंबाई 3,214 कि.मी. और पूर्व से पश्चिम तक अधिकतम चौड़ाई 2,933 कि.मी. है। इसकी ज़मीनी सीमाओं की लंबाई लगभग 15,200 कि.मी. है। जबकि मुख्‍यभूमि, लक्षद्वीप और अण्‍डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह की तटरेखा की कुल लम्‍बाई 7,516.6 कि.मी है।

भूगोल

भारत के बारे में भौगोलिक जानकारी
ब्यौरेविवरण
स्‍थानहिमालय द्वारा भारतीय पेनिसुला का मुख्‍य भूमि एशिया से अलग किया गया है। देश पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिन्‍द महासागर से घिरा हुआ है।
भौगोलिक समन्‍वययह पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध मे स्थित है, देश का विस्‍तार 8° 4' और 37° 6' l अक्षांश पर इक्‍वेटर के उत्तर में, और 68°7' और 97°25' देशान्‍तर पर है।
स्‍थायी मान समयजी एम टी + 05:30
क्षेत्र3.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर
देश का टेलीफोन कोड+91
सीमाओं में स्थित देशउत्तर पश्चिम में अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान, भूटान और नेपाल उत्तर में; म्‍यांमार पूरब में, और पश्चिम बंगाल के पूरब में बंगलादेश। श्रीलंका भारत से समुद्र के संकीर्ण नहर द्वारा अलग किया जाता है जो पाल्‍क स्‍ट्रेट और मनार की खाड़ी द्वारा निर्मित है।
समुद्रतट7,516.6 किलोमीटर जिसमें मुख्‍य भूमि, लक्षद्वीप, और अण्‍डमान और निकोबार द्वीपसमूह शामिल हैं।
जलवायुभारत की जलवायु को मोटे तौर पर उष्‍णकटिबंधीय मानसून के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। परन्‍तु भारत का अधिकांश उत्तरी भाग उष्‍णकटिबंधीय क्षेत्र के बाहर होने के बावजूद समग्र देश में उष्‍णकटिबंधीय जलवायु है जिसमें अपेक्षाकृत उच्‍च तापमान और सूखी सर्दी पड़ती है। चार मौसम है:
  1. सर्दी (दिसम्‍बर-फरवरी)
  2. गर्मी (मार्च-जून)
  3. दक्षिण पश्चिम मानसून का मौसम (जून-सितम्‍बर)
  4. मानसून पश्‍च मौसम (अक्‍तूबर-नवम्‍बर)
भूभागमुख्‍य भूमि में चार क्षेत्र हैं नामत: ग्रेट माउन्‍टेन जोन, गंगा और सिंधु का मैदान, रेगिस्‍तान क्षेत्र और दक्षिणी पेनिंसुला।
प्राकृतिक संसाधनकोयला, लौह अयस्‍क, मैगनीज अयस्‍क, माइका, बॉक्‍साइट, पेट्रोलियम, टाइटानियम अयस्‍क, क्रोमाइट, प्राकृतिक गैस, मैगनेसाइट, चूना पत्‍थर, अराबल लेण्‍ड, डोलोमाइट, माऊलिन, जिप्‍सम, अपादाइट, फोसफोराइट, स्‍टीटाइल, फ्लोराइट आदि।
प्राकृतिक आपदामानसूनी बाढ़, फ्लेश बाढ़, भूकम्‍प, सूखा, जमीन खिसकना।
पर्यावरण - वर्तमान मुद्देवायु प्रदूषण नियंत्रण, ऊर्जा संरक्षण, ठोस अपशिष्‍ट प्रबंधन, तेल और गैस संरक्षण, वन संरक्षण, आदि।
पर्यावरण-अंतर्राष्‍ट्रीय करारपर्यावरण और विकास पर रीयो की घोषणा, जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राज्‍य ढांचागत कार्य सम्‍मेलन के लिए क्‍योटो प्रोटोकॉल, विश्‍व व्‍यापार करार, नाइट्रोजन ऑक्‍साइड के सल्‍फर उत्‍पसर्जन को कम करने सर उनके ट्रांस बाउन्‍ड्री फ्लेक्‍सेस (नोन प्रोटोकॉल) पर एल आर टी ए पी हेन्सिंकी प्रोटोकॉल, वोलाटाइल ऑरगनिक समिश्रण या उनके ट्रांस बाऊन्‍ड्री फलाक्‍सेस (वी वो सी प्रोटोकॉल) के उत्‍सर्जन से संबंधित एल आर टी ए पी के लिए जेनेवा प्रोटोकॉल।
भूगोल-टिप्‍पणीभारत दक्षिण एशिया उप महाद्वीप के बड़े भूभाग पर फैला हुआ है।

व्‍यक्ति

भारतीय नागरिकों के बारे में सूचना
ब्यौरेविवरण
(आबादी) जनसंख्‍या1 मार्च, 2011 की स्थिति के अनुसार भारत की जनसंख्‍या 1,210,193,422 बिलियन (623.7 मिलियन पुरुष और 586.4 मिलियन महिला) की।
जनसंख्‍या वृद्धि दरऔसत वार्षिक घातांकी वृद्धि दर वर्ष 2001-2011 के दौरान 1.64 प्रतिशत है।
जन्‍म दरवर्ष 2009 की जनगणना के अनुसार अनुमानित मृत्‍यु दर 18.3 है।
मृत्‍यु दरवर्ष 2009 की जनगणना के अनुसार अनुमानित जन्‍म दर 7.3 है।
संम्‍भावित जीवन दर65.8 वर्ष (पुरुष) 68.1 वर्ष (महिला) (सितम्‍बर 2006-2011 की स्थिति के अनुसार)
लिंग अनुपात2011 की जनगणना के अनुसार 940
राष्‍ट्रीयताभारतीय
जातीय अनुपातसभी पांच मुख्‍य प्रकार की जातियां, ऑस्‍ट्रेलियाड, मोंगोलॉयड, यूरोपॉयड, कोकोसिन और नीग्रोइड को भारत की जनता के बीच प्रतिनिधित्‍व मिलती है।
धर्मवर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार 1,028 मिलियन देश की कुल जनसंख्‍या में से 80.5 प्रतिशत के साथ हिन्‍दुओं की अधिकांशता है दूसरे स्‍थान पर 13.4 प्रतिशत की जनसंख्‍या वाले मुस्लिम इसके बाद ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और अन्‍य आते हैं।
भाषाएंभारतीय संविधान द्वारा 22 विभिन्न भाषाओं को मान्यता दी गई है, जिसमें हिन्दी आधिकारिक भाषा है। अनुच्छेद 343 (3) भारतीय संसद को विधि के अधीन कार्यालयीन उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के उपयोग को जारी रखने का अधिकार देता है।
साक्षरता2001 की जनसंख्‍या के अनंतिम परिणाम के अनुसार देश मे साक्षरता दर 74.04 प्रतिशत है। 82.14 प्रतिशत पुरुषों के लिए और महिलाओं के लिए 65.46 है।

सरकार

भारत सरकार के बारे में सूचना
ब्यौरेविवरण
देश का नामरिपब्लिक ऑफ इंडिया; भारत गणराज्‍य
सरकार का प्रकारसंसदीय सरकार पद्धति के साथ सामाजिक प्रजातांत्रिक गणराज्‍य।
राजधानीनई दिल्‍ली
प्रशासनिक प्रभाग28 राज्‍य और 7 संघ राज्‍य क्षेत्र
आजादी15 अगस्‍त 1947 (ब्रिटिश उपनिवेशीय शासन से)
संविधानभारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।
कानून प्रणालीभारत का संविधान देश की न्‍याय प्रणाली का स्रोत है।
कार्यपालिका शाखाभारत का राष्‍ट्रपति देश का प्रधान होता है, जबकि प्रधानंत्री सरकार प्रमुख होता है और मंत्रिपरिषद् की सहायता से शासन चलाता है जो मंत्रिमंडल मंत्रालय का गठन करते हैं।
विद्यायिका शाखाभारतीय वि‍द्यायिका में लोक सभा (हाउस ऑफ दि पीपल) और राज्‍य सभी (राज्‍य परिषद्) संसद के दोनों सदनों का गठन करते हैं।
न्‍यायपालिका शाखाभारत का सर्वोच्‍च न्‍यायालय भारतीय कानून व्‍यवस्‍था का शीर्ष निकाय है इसके बाद अन्‍य उच्‍च न्‍यायालय और अधीनस्थ न्‍यायालय आते हैं।
झण्‍डे का वर्णनराष्‍ट्रीय झण्‍डा आयताकार तिरंगा है जिसमें केसरिया ऊपर है, बीच में सफेद, और बराबर भाग में नीचे गहरा हरा है। सफेद पट्टी के केन्‍द्र में गहरा नीला चक्र है जो सारनाथ में अशोक चक्र को दर्शाता है।
राष्‍ट्रीय दिवस26 जनवरी (गणतंत्र दिवस)
15 अगस्‍त (स्‍वतंत्रता दिवस)
2 अक्‍तूबर (गांधी जयंती, महात्‍मा गांधी का जन्‍म दिवस)

अर्थव्‍यवस्‍था

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बारे में सूचना
ब्यौरेविवरण
अर्थव्‍यवस्‍था सिंहावलोकनस्‍वतंत्रता की प्राप्ति के बाद आधी शताब्‍दी में भारत ने सभी बाधाओं को पार करते हुए आर्थिक स्थिरता का स्‍पष्‍ट स्‍तर, विभिन्‍न क्षेत्रों का शिष्‍टाचार, अदम्‍य सहयोग जैसाकि कृषि, पर्याटन, वाणिज्‍य, विद्युत, संचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि। जिन्‍होंने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के सतंभ के रूप में कार्य किया है। आज भारत विश्‍व की छह सबसे तेजी से विकसित अर्थव्‍यवस्‍था में से एक हैं। वर्ष 2001 में शाक्ति समकक्षता खरीदने (पीपीपी) की तर्ज पर भारत का चौथा स्थान है। व्‍यवसाय और विनियामक वातावरण विकसित हो राह है और स्‍थायी सुधार की ओर आगे बढ़ रहा है।
सकल घरेलू उत्‍पादवर्ष 2005-06 की द्वितीय तिमाही में 8 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की गई।
सकल घरेलू उत्‍पाद खरीद शक्ति समकक्षताभारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है, खरीद शक्ति समकक्षता की तर्ज पर इसका जीडीपी 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह यूएसए, चीन और जापान के बाद आता है।
जीडीपी प्रति व्‍यक्तिसितम्‍बर, 2005 की स्थिति के अनुसार देश का प्रतिव्‍यक्ति सकल घरेलू उत्‍पाद 543 अमेरिकी डॉलर था।
जीडीपी क्षेत्रकों द्वारा निर्माणसेवाएं 56 प्रतिशत कृषि 22 प्रतिशत और उद्योग 22 प्रतिशत (सितम्‍बर, 2005 की स्थिति के अनुसार
श्रमिक बलइंडिया विजन : 2020 पर समिति की रिपोर्ट के अनुसार भारत का श्रमिक बल 2002 में 375 मिलियन से अधिक पहुंच गई है।
बेरोजगारी की दर9.1% (सितम्‍बर 2005 के अनुसार)
गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्‍या1999-2000 को 26.10%
मुद्रास्‍फीति की दरजुलाई 2005 को 4.1%
सार्वजनिक ऋण31 मार्च 2002 को कुल ऋण 72117.58 करोड़ रू है
विनियम दरविनिमय दरों के लिए प्रति दिन भारतीय रिजर्व बैंक(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) की वेबसाइट देखें
कृषि उत्‍पादचावल, गेहूं, चाय, कपास, गन्‍ना, आलू, जूट, तिलहन, पोल्‍ट्री आदि
उद्योगइस्‍पात, वस्‍त्र, पेट्रोलियम, सीमेंट, मशीनरी, लोकोमोटिव, खाद्य प्रसंस्‍करण, भैषजिक उत्‍पाद, खनन आदि
मुद्रा (कोड)भारतीय रूपए (आईएनआर)
वित्‍तीय वर्ष1 अप्रैल से 31 मार्च